आज कुछ तो अलग है दोस्तों आज कुछ तो नया है यारों ये हवाओं का रुख कुछ अलग लगता है एक अजनबी सा चेहरा दीखता है कहीं न कहीं एक कमी सी लगती है एक अंजाना सा दर्द तीर की तरह चुभता है आज कुछ तो अलग है दोस्तों आज कुछ तो नया है यारों अपने भी आज दूर से मुस्कुराते हैं क्यों वो पास आने से कतराते हैं कल तक अपनों का काफिला जमा हुआ था आज अपना साया भी बेगाना कर गया आज कुछ तो अलग है दोस्तों आज कुछ तो नया है यारों सन्नाटे के इस दौर में अपनी आवाज़ खो चुकी हूँ इस वीराने में अब दर्द भी नंब सा लगता है आँखों के आगे धुंदली चादर है आज बस रोते जाने को जी करता है